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रविवार, 26 जून 2011

अस्पताल और दवाई के दुकान पडोसी होते हैं काहे ....आज की पाती




पहले आप इस कटिंग को पढिए । इसमें जिस हेडगेवार अस्पताल की खबर है उस अस्पताल की जो कि अभी हाल ही में पूर्वी दिल्ली के कडकडडूमा क्षेत्र में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के रूप में खोला गया है ,और इसकी एक दीवार , केंद्रीय स्वास्थय निदेशालय , दिल्ली सरकार का दफ़्तर है । यानि दिए तले ....आप पहले खबर पढिए 





इसके बाद हमने सोचा आजकल सरकार सुने हैं कि अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए आम लोगों से उपाय पूछ रही है तो हम भी क्यों न मंत्री जी के नाम एक आम आदमी की चिट्ठी भेज ही डालें , पढिए देखिए ठीक लिखा न ..





शुक्रवार, 24 जून 2011

सरकार को एक चिट्ठी पढने वाला चाहिए ...अरे कोई पढैय्या बाबू हैं हो ..




इस पोस्ट पर सरकार के नाम एक चिट्ठी लिखी गई थी । अति व्यस्त समय निकाल कर सरकार ने जवाब भी भेज दिया है , लेकिन थोडा सा किंतु परंतु हो गया है , क्या ? अरे आप खुद ही देखिए न ..पहले हमारी पाती बांचिए 






पढ लिए न , तो अब देखिए कि सरकार को क्या बुझाया ई पढके , लीजीए उनका जवाब पर भी गौर फ़रमाया जाए तनिक 



 यानि कुल मिला के मतलब ये कि सरकार को एक ऐसा आदमी भी चाहिए जो चिट्ठी को ठीक से पढ के बता समझा सके कि मंत्री जी ये चिट्ठी वर्षा जल को बचाने के उपायों पर काम करने के आग्रह के साथ भेजी गई थी आप तो नाली की सफ़ाई कराने में जुट गए । चलिए कोई बात नहीं कुछ तो कर ही रहे हैं । हम एक चिट्ठी नाली की सफ़ाई करवाने के लिए भेजते हैं आप उसमें वर्षा जल बचाने का निर्देश दें दें । हो गया हिसाब बराबर । 

सोमवार, 13 जून 2011

जरा धर लो इन बाबा जी को ..ए दरोगा जी ...आज की चिट्ठी










आदरणीय मुख्यमंत्री महोदया,



                     सादर नमस्कार । इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान राजधानी दिल्ली में पनपती एक खास  समस्या की ओर दिलाना चाहता हूं ।

राजधानी दिल्ली के विभिन्न आवासीय क्षेत्रों में तंत्र -मंत्र , झाड फ़ूंक , आदि के सहारे अंधविश्वास फ़ैला कर भोले-भाले निरक्षर लोगों को ठगने-लूटने वाले लोग तथा गिरोह बढते जा रहे हैं । आश्चर्य व दु:ख की बात ये है कि इनका ये सारा तामझाम और कारोबार कहीं भी ढका-छिपा नहीं है । बल्कि इसके लिए बाकायदा पत्र -पत्रिकाओं में इश्तहार और विज्ञापन तक देखर लोगों को फ़ंसाया जाता है ।


ये तमाम तंत्रमंत्र /काले जादू /झाड फ़ूंक के कार्यों में लिप्त लोग न सिर्फ़ लोगों को फ़ंसा कर उन्हें लूट व ठक लेते हैं बल्कि अक्सर ही हत्या/बलि/यौन शोषण तक जैसे गंभीर अपराधों में इनकी संलिप्तता होती है । अत: आपसे संबंधित अधिकारियों , विभागों एवं पुलिस अधिकारियों को इस बाबत निर्देश जारी किए जाएं । किसी भी समाज के लिए ये गंभीर व चिंताजनक बात है । उम्मीद है कि इस पर यथाशीघ्र ध्यान देंगी।
                                  

                                                                                             अजय कुमार झा 
                                                                                                        11/248, गीता कॉलोनी
                                                                                                          दिल्ली -110032                                                       
नोट :- इस पत्र की स्कैन कॉपी आम लोगों 
के सूचनार्थ http://ekchitthi.blogspot.com पर 
लगा दी गई है ।                                                 

शनिवार, 11 जून 2011

बिन काम , ना मिलेगा दाम , सुन ल्यो नेताजी ......आज की चिट्ठी





पिछले कुछ सालों से संसंद सत्र में करोडों रुपए की बर्बादी और राजनेताओं की हुल्लड हू देखते रहने के बाद मुझ जैसे आम आदमी की समझ में यही आया कि जब , हम गली में कूडा उठाने वाले  से लेकर दूध और अखबार  देने वाले तक को सिर्फ़ उसके काम के बदले ही पैसे देते हैं , तो फ़िर आखिर इन तमाम राजनेताओं को आखिर किस बात के लिए वेतन और भत्ता दिया जाए । इन्हें अब ये साबित करना होगा कि , इन्होंने इतना काम तो किया ही है कि उनको , हमारी ही कमाई काट के दिए गए टैक्स में से दी जाने वाली तनख्वाह दी जानी चाहिए ...तो इसलिए ये पाती लिख डाली हमने ...ठीक किया न ??