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मंगलवार, 11 अक्तूबर 2011

हाकिम झाडू उठाइए हो ....





जैसा कि आप जानते हैं कि पहले से ही सरकार के साथ अपनी चिट्ठी पत्री चलती रहती है अजी बात का क्या है ।  बस कभी आसपास की बातें तो कभी आमोखास की बातें, कुल मिलाकर बात ये है कि सरकार और हमारी दोस्ती धीरे धीरे पक्की होती जा रही है और हम उन्हें झंझोडने में लगे रहते हैं । हालांकि , पिछले दिनों खतों की रफ़्तार थोडी धीमी पडी ,लेकिन यकीन मानिए ,अभी कलम में स्याही बहुत है , बुलंदी बहुत है , तबाही बहुत है ...। किंतु पिछले कुछ दिनों में अपनी गली की एक समस्या को नासूर बनते हुए देख कर मन बागी हो उठा । हमने कार्यालय जाने से पहले दन्न से मोर्चा संभाला और सुपुत्र जी को स्कूल से वापस छोडते समय , फ़टाक से रपट तैयार कर दी । आसपास के लोगों से , संबंधित अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों का पक्ष भी ले लिया गया । मोबाइल ने कैमरे का काम बहुत पहले ही बहुत आसान कर दिया , सो क्लिक , क्लिक ,क्लिक । मेल तैयार कर मीडिया मित्रों को प्रेषित कर दिया गया ।





















नई दुनिया एवं दैनिक जागरण ने न सिर्फ़ प्रमुखता से खबर छापी , बल्कि संबंधित जनप्रतिनिधियों से शिकायत के लिए किए जा रहे प्रयास की बाबत भी जानकारी मांग ली । अब इस खबर के प्रकाशित होने के बाद अस्थाई व्यवस्था / उपाय का कार्य शुरू हो चुका है , कैसा और क्या , ये बताता हूं अगली पोस्ट में ।