सरकार को एक चिट्ठी पढने वाला चाहिए ...अरे कोई पढैय्या बाबू हैं हो ..
इस पोस्ट पर सरकार के नाम एक चिट्ठी लिखी गई थी । अति व्यस्त समय निकाल कर सरकार ने जवाब भी भेज दिया है , लेकिन थोडा सा किंतु परंतु हो गया है , क्या ? अरे आप खुद ही देखिए न ..पहले हमारी पाती बांचिए
पढ लिए न , तो अब देखिए कि सरकार को क्या बुझाया ई पढके , लीजीए उनका जवाब पर भी गौर फ़रमाया जाए तनिक
यानि कुल मिला के मतलब ये कि सरकार को एक ऐसा आदमी भी चाहिए जो चिट्ठी को ठीक से पढ के बता समझा सके कि मंत्री जी ये चिट्ठी वर्षा जल को बचाने के उपायों पर काम करने के आग्रह के साथ भेजी गई थी आप तो नाली की सफ़ाई कराने में जुट गए । चलिए कोई बात नहीं कुछ तो कर ही रहे हैं । हम एक चिट्ठी नाली की सफ़ाई करवाने के लिए भेजते हैं आप उसमें वर्षा जल बचाने का निर्देश दें दें । हो गया हिसाब बराबर ।
हाय री सरक यार सरकार .....
जवाब देंहटाएंजब सरकार में ज्यादातर जड़ किस्म के शर्मनाक भ्रष्टाचारी रुपी सभी गंदे शौचालय के गंदे कीरे बैठे होंगे तो सरकार का यही हाल होगा....ऐसी सरकार से पता नहीं ये देश कब आजाद होगा....
जवाब देंहटाएंखतरनाक हैं जी सरकारी बाबू लोग. दिल्ली जैसे हिंदी प्रांत के बाबुओं/नौकरशाहों/लिपिकों/अधिकारियों का यह हाल है तो भगवान ही जाने कि इन इन सरकारी लोगों से हिन्दी का कितना भला (या भाला?) होने वाला है!
जवाब देंहटाएंजनता से प्राप्त शिकायतों और सुझावों के लिए यह सरकार मात्र एक पोस्ट आफिस का काम करती है. जनता की चिट्ठी मिली, उसे सम्बंधित विभाग को भेज दिया, बस जिम्मेदारी ख़त्म. ऐसी अनेक चिट्ठियां मैंने लिखी हैं पर आज तक किसी पर भी कोई कार्यवाही नहीं हुई. सम्बंधित विभाग में समबंधित अधिकारी तक आप पहुँच ही नहीं पायेंगे. आरटीआई डालेंगे तब भी कुछ पता नहीं चलेगा.
जवाब देंहटाएंआप के दिमाग में पीने का पानी था। सरकार के दिमाग में गंदी नाली। जैसा सोच वैसी चिट्ठी।
जवाब देंहटाएंचलिये इससे यह तो तय हुआ कि पत्र खोले जाते हैं ...भले ही ठीक से पढ़े न जायें. :)
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