ये मुहिम है एक आम नागरिक की , अपने स्तर पर अपने आस पास , अपने संज्ञान में जो भी जब भी जरूरी लगता है और बिना ये सोचे कि वो कितना प्रायोगिक है अथवा उसपर कभी कितनी कार्यवाही होगी अपने कर्तव्य रूप में पत्र के माध्यम से उन जन प्रतिनिधियों तक पहुंचाने की कोशिश जरूर करता हूँ और यहाँ इसलिए रख लेता हूँ ताकि सनद रहे
ये एक आम आदमी की मुहिम है जिसे नाम दिया है ..एक चिट्ठी । एक चिट्ठी जो रोज़ खोलेगी सरकार की आंख , एक चिट्ठी जो बताएगी कि आम आदमी ने क्या देखा , एक चिट्ठी जो बेशक रोज़ न पढी जाती हो , लेकिन लिखी रोज़ जाएगी …और उसे यकीन है कि एक न एक दिन वो जरूर पढी जाएगी
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बुधवार, 21 सितंबर 2016
बच्चे इस देश में खो गए
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आप मुझे इस मिशन के लिए रास्ता दिखाते रहिएगा .....मुझे इसकी जरूरत है