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एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए

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बुधवार, 18 मई 2011

स्कूल को इंतज़ार है बस एक मास्साब का ...आज की चिट्ठी







उम्मीद करता हूं कि एक न एक दिन ये पत्र जरूर पढा जाएगा , और एक न एक दिन देश का हर नागरिक ऐसे पत्र से सरकार और प्रशासन को उसके कामों की याद दिलाता रहेगा । तब तक ये मुहिम चलती रहेगी ....चलती रहेगी ..

4 टिप्‍पणियां:

  1. मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर
    लोग मिलते गये और कारवां बनता गया''
    अजयजी ! हर काम की शुरुआत किसी एक द्वारा हुई है और.....वो रास्ता तैयार हुआ जान मुडकर देखिये तो कतारे दिखेगी. पत्थरों आलोचनाओं ,लोग के द्वारा हंसी उडाये जाने पर भी नही डरे...लगे रहे तो...वो ही काम बाद वालों के लिए आसान हो जाता है.अरे! बहुत किये हैं तुम्हारी इंदु-माँ ने ये सब काम और अभी भी ....क्योंकि..किसी की परवाह नही करती.इश्वर पर विश्वास करती हूँ.दिल की सुनती हूँ.मेहनत करती हूँ.वो ही करिये.सफलता मिलेगी...वो सुबह जरूर आएगी' हा हा हा जियो.

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  2. बढियां..........................
    कुछ ना करने से बेहतर होता है कुछ करना..........
    आपने एक प्रयास तो किया भैया...शुक्रिया........अँधेरे में एक उजाले की रौशनी फैलानी की है ये कोशिश ...

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  3. ई बहाने बनते हुए बिहार को और बनाया जा सकता है.उम्मीद है कि नितीश बाबू तोहार फरियाद ज़रूर सुनैंगे !
    वैसे ऐसी दशा देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में मिलेगी !

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आप मुझे इस मिशन के लिए रास्ता दिखाते रहिएगा .....मुझे इसकी जरूरत है