ये एक आम आदमी की मुहिम है जिसे नाम दिया है ..एक चिट्ठी । एक चिट्ठी जो रोज़ खोलेगी सरकार की आंख , एक चिट्ठी जो बताएगी कि आम आदमी ने क्या देखा , एक चिट्ठी जो बेशक रोज़ न पढी जाती हो , लेकिन लिखी रोज़ जाएगी …और उसे यकीन है कि एक न एक दिन वो जरूर पढी जाएगी
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बुधवार, 18 मई 2011
स्कूल को इंतज़ार है बस एक मास्साब का ...आज की चिट्ठी
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chalni chahiye , kitni aag hai - badhni chahiye
जवाब देंहटाएंमैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर
जवाब देंहटाएंलोग मिलते गये और कारवां बनता गया''
अजयजी ! हर काम की शुरुआत किसी एक द्वारा हुई है और.....वो रास्ता तैयार हुआ जान मुडकर देखिये तो कतारे दिखेगी. पत्थरों आलोचनाओं ,लोग के द्वारा हंसी उडाये जाने पर भी नही डरे...लगे रहे तो...वो ही काम बाद वालों के लिए आसान हो जाता है.अरे! बहुत किये हैं तुम्हारी इंदु-माँ ने ये सब काम और अभी भी ....क्योंकि..किसी की परवाह नही करती.इश्वर पर विश्वास करती हूँ.दिल की सुनती हूँ.मेहनत करती हूँ.वो ही करिये.सफलता मिलेगी...वो सुबह जरूर आएगी' हा हा हा जियो.
बढियां..........................
जवाब देंहटाएंकुछ ना करने से बेहतर होता है कुछ करना..........
आपने एक प्रयास तो किया भैया...शुक्रिया........अँधेरे में एक उजाले की रौशनी फैलानी की है ये कोशिश ...
ई बहाने बनते हुए बिहार को और बनाया जा सकता है.उम्मीद है कि नितीश बाबू तोहार फरियाद ज़रूर सुनैंगे !
जवाब देंहटाएंवैसे ऐसी दशा देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में मिलेगी !