ये एक आम आदमी की मुहिम है जिसे नाम दिया है ..एक चिट्ठी । एक चिट्ठी जो रोज़ खोलेगी सरकार की आंख , एक चिट्ठी जो बताएगी कि आम आदमी ने क्या देखा , एक चिट्ठी जो बेशक रोज़ न पढी जाती हो , लेकिन लिखी रोज़ जाएगी …और उसे यकीन है कि एक न एक दिन वो जरूर पढी जाएगी
उम्मीद करते हैं कि भले ही लोगों से मिलने में परहेज हो पर आपकी चिठिया ज़रूर बांचेंगीं!अगर भरोसा नय है तो थोड़े दिन बाद आरटीआई डाल के पता लगा लिहो !
लगे रहिये झा जी ...
सद्प्रयास ...
आप मुझे इस मिशन के लिए रास्ता दिखाते रहिएगा .....मुझे इसकी जरूरत है
उम्मीद करते हैं कि भले ही लोगों से मिलने में परहेज हो पर आपकी चिठिया ज़रूर बांचेंगीं!अगर भरोसा नय है तो थोड़े दिन बाद आरटीआई डाल के पता लगा लिहो !
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