ये एक आम आदमी की मुहिम है जिसे नाम दिया है ..एक चिट्ठी । एक चिट्ठी जो रोज़ खोलेगी सरकार की आंख , एक चिट्ठी जो बताएगी कि आम आदमी ने क्या देखा , एक चिट्ठी जो बेशक रोज़ न पढी जाती हो , लेकिन लिखी रोज़ जाएगी …और उसे यकीन है कि एक न एक दिन वो जरूर पढी जाएगी
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सोमवार, 23 मई 2011
कभी मुफ़्त सलाह भी दईदो ए उकील बाबू .......आज की पाती
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badhiya salaah vo bhi bina fee ke!
जवाब देंहटाएंसही बात है। अधिवक्ता संघों को भी मुफ्त सलाह के लिए कोई व्यवस्था अवश्य करना चाहिए।
जवाब देंहटाएंकोई व्यक्ति वकील है या नहीं इस की तस्दीक किए जाने की व्यवस्था तो तुंरत की जा सकती है।
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